सोनभद्र में आयोजित हॉकी खेल उत्सव केवल स्थानीय आयोजन नहीं था, बल्कि यह भारत के खेल ढाँचे में निचले स्तर पर बढ़ते जागरूकता का संकेत था। उत्तर प्रदेश के दूरस्थ जनपद में इतनी संख्या में विद्यालयों और खिलाड़ियों की भागीदारी दिखाती है कि हॉकी का आकर्षण अब भी जीवित है।
यह आयोजन खेल निदेशालय की उस नीति से जुड़ा है जिसका उद्देश्य ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खेल प्रतिभाओं को पहचानना है।
दिग्विजय एकादश और तियरा स्टेडियम की टीमें भविष्य की संभावनाओं का प्रतीक हैं।
ऐसे आयोजनों से खिलाड़ियों को प्रतियोगी माहौल मिलता है और स्थानीय प्रशासन को खेल ढाँचे में सुधार की दिशा में प्रेरणा।
यह भी उल्लेखनीय है कि निर्णायक मंडल और प्रशिक्षकों की भूमिका पारदर्शी रही, जिससे खेल की साख बनी रही।
दीर्घकालिक दृष्टि से देखें तो यह आयोजन न केवल खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाता है बल्कि खेल-पर्यटन और सामुदायिक एकजुटता को भी प्रोत्साहित करता है।







